मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के कई बड़े किस्से सामने आते रहे हैं,जहां अक्सर निचले स्तर के अधिकारियों पर ही उंगलियां उठती थीं। लेकिन अब स्थिति और चिंताजनक होती जा रही है। छोटे-छोटे घोटालों से आगे बढ़कर अब जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारी भी भ्रष्टाचार की डुबकी लगाने से नहीं हिचक रहे। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि अब डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ रहे हैं। इसी श्रृंखला में एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रशासन ने डिप्टी कलेक्टर को निलंबित कर दिया है, जिससे तंत्र में हड़कंप मचा हुआ है।
मध्यप्रदेश के दमोह जिले में प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए डिप्टी कलेक्टर ब्रजेश सिंह को निलंबित कर दिया है। आदिवासी छात्रावासों के लिए हुई 45 लाख रुपये की खरीदी में अनियमितताओं और घोटाले के आरोपों के बाद यह कदम उठाया गया है, जिससे पूरे जिले में हड़कंप मच गया है।जांच में सामने आया कि आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित 32 छात्रावासों के लिए अप्रैल माह में सामग्री खरीदी गई थी। उस दौरान ब्रजेश सिंह विभाग के प्रभारी जिला संयोजक थे। रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदी गई सामग्री न केवल निम्न स्तर की थी, बल्कि उसकी गुणवत्ता संबंधी जानकारी सात दिनों के भीतर ई-मेल या ई-पोर्टल पर भेजना भी अनिवार्य था, जिसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया।दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर द्वारा की गई प्राथमिक जांच रिपोर्ट को आधार मानकर संभागायुक्त अनिल सुचारी ने डिप्टी कलेक्टर ब्रजेश सिंह के निलंबन का आदेश जारी कर दिया है। कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप है और आगे भी और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।










