फर्जी पत्रकारों की आ रही बाढ़ को रोकने पुलिस प्रशासन को करना चाहिए कार्यवाही

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शहडोल।वर्तमान परिवेश में पत्रकारिता के पेशे में लगातार आ रही गिरावट खासतौर पर फर्जी पत्रकारों की शहडोल संभाग में बढ़ती संख्या चिंता जनक है।लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ कि सुचिता के लिए जहां एक और वरिष्ठ पत्रकारों को आगे आकर पहल करनी चाहिए वहीं दूसरी ओर पुलिस प्रशासन को अपराध जगत से जुड़े फर्जी पत्रकारों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
वैसे तो समाज के हर क्षेत्र में नैतिक गिरावट आई है। लोकतंत्र के तीनों स्तंभ न्यायपालिका कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका मैं भी नैतिक पतन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है परंतु पत्रकारिता के इस चौथे स्तंभ मैं जिस तरह से गिरावट आ रही है।वह समाज और राष्ट्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है।यदि हम शहडोल संभाग की पत्रकारिता पर दृष्टि डालें तो अपराध जगत से जुड़े लोग पुलिस से बचने के लिए या फिर अपने अपराधों को छुपाने के लिए पत्रकारिता का चोला ओढ़ने का काम कर रहे हैं।
 केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार पत्रकारिता के जगत में अपराधिक तत्वों को आने से रोकने के लिए कोई नियम कानून नहीं बनाए गए हैं।जिसकी वजह से कोई भी मुंह उठाए पत्रकारिता का चोला ओढ़ कर आ जाता है और समाज में गंदगी फैलाने के साथ ही शासन प्रशासन को गुमराह करता रहता है।
  शासन प्रशासन को इस संबंध में ऐसी कोई गाइडलाइन बननी चाहिए ताकि अपराधिक तत्वों को पत्रकारिता के पेशे में आने से रोका जा सके।पिछले कुछ दिनों से शहडोल के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा इस विषय पर चिंतन मनन किया जा रहा है।और पुलिस प्रशासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करके इस समस्या के समाधान की पहल की जा रही है।जरूरत इस बात की है की वरिष्ठ पत्रकारों को एकजुट होकर एवं जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के साथ बैठकर बातचीत करनी चाहिए।
पत्रकारों का पुलिस वेरिफिकेशन किया जाए 
शहडोल संभाग के तीनों जिलों के समस्त पत्रकारों का पुलिस वेरीफिकेशन कराया जाना चाहिए।पत्रकारों का पुलिस वेरीफिकेशन जब होगा तब यह बात साफ हो जाएगी की कितने पत्रकार अपराधिक जगत से नाता है। और कितने पत्रकार साफ-सुथरे छवि के हैं।दूध का दूध और पानी का पानी साफ-साफ दिखने लगेगा।शासन को यह गाइडलाइन भी जारी करना चाहिए की जनसंपर्क विभाग में नए पत्रकारों का रजिस्ट्रेशन पुलिस वेरिफिकेशन के बाद ही कराया जाए।दरअसल शासन की कोई गाइडलाइन ना होने के कारण पुलिस प्रशासन भी पत्रकारों के मामले में कोई दखलंदाजी नहीं करना चाहता इसलिए जरूरी है कि साफ सुथरी छवि वाले पत्रकार का इस विषय पर चिंतन मनन करें और एकजुट होकर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन से बातचीत करें।

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